Shodashi No Further a Mystery
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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥९॥
ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।
Worshippers of Shodashi look for not just materials prosperity but also spiritual liberation. Her grace is said to bestow the two worldly pleasures plus the means to transcend them.
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
ईड्याभिर्नव-विद्रुम-च्छवि-समाभिख्याभिरङ्गी-कृतं
हव्यैः कव्यैश्च सर्वैः श्रुतिचयविहितैः कर्मभिः कर्मशीला
देवस्नपन दक्षिण वेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
दृश्या स्वान्ते सुधीभिर्दरदलितमहापद्मकोशेन तुल्ये ।
ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः
करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?
केयं कस्मात्क्व केनेति सरूपारूपभावनाम् ॥९॥
‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना check here मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?
It is mostly identified that knowledge and prosperity do not stay collectively. But Sadhana of Tripur Sundari presents both of those in addition to gets rid of illness together with other ailments. He never goes less than poverty and becomes fearless (Shodashi Mahavidya). He enjoys all the worldly contentment and receives salvation.