5 Essential Elements For Shodashi

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ज्येष्ठाङ्गबाहुहृत्कण्ठकटिपादनिवासिनीम् ॥७॥

चक्रेश्या प्रकतेड्यया त्रिपुरया त्रैलोक्य-सम्मोहनं

पञ्चबाणधनुर्बाणपाशाङ्कुशधरां शुभाम् ।

The Devas then prayed to her to destroy Bhandasura and restore Dharma. She is considered to possess fought the mother of all battles with Bhandasura – some scholars are of your look at that Bhandasura took different types and Devi appeared in different kinds to annihilate him. Eventually, she killed Bhandasura With all the Kameshwarastra.

Given that certainly one of his adversaries had been Shiva himself, the Kama obtained massive Shakti. Lacking discrimination, the man began creating tribulations in every one of the 3 worlds. With Kama getting so much power, and With all the Devas dealing with defeat, they approached Tripura Sundari for assist. Taking over all her weapons, she charged into fight and vanquished him, thus conserving the realm of your Gods.

ह्रीं‍मन्त्राराध्यदेवीं श्रुतिशतशिखरैर्मृग्यमाणां मृगाक्षीम् ।

She is definitely the in the form of Tri power of evolution, grooming and destruction. Complete universe is altering below her ability and destroys in cataclysm and all over again get rebirth (Shodashi Mahavidya). By accomplishment of her I received this put and hence adoration of her is the best one.

॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

लक्ष्या click here या चक्रराजे नवपुरलसिते योगिनीवृन्दगुप्ते

यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।

वाह्याद्याभिरुपाश्रितं च दशभिर्मुद्राभिरुद्भासितम् ।

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

स्थेमानं प्रापयन्ती निजगुणविभवैः सर्वथा व्याप्य विश्वम् ।

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